रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगा है। कृषि एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के वर्तमान मंत्री और उनके करीबी व्यापारी राकेश अग्रवाल (मो. 9685113457, मनोज अग्रवाल मो. 9165211999, और सुनील अग्रवाल मो. 8770852104 पर राज्य के गरीब, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को लूटने का आरोप है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाराष्ट्र (आरएसएस) के प्रांत संघचालक सुनील घनवट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सुनील घनवट ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि मंत्री रामविचार नेताम और उनके व्यापारी मित्र मिलकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इनके द्वारा खुलेआम यह कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी के संगठन, आरएसएस प्रमुख और दिल्ली कार्यालय तक पैसे भेजने होते हैं, जिसे जो करना है कर ले। घनवट के अनुसार, यह समूह प्रधानमंत्री की ना खाऊंगा ना खाने दूंगा की नीति के खिलाफ जाकर भाजपा को सीधे बदनाम कर रहा है। घोटाले का तरीका बेहद चौंकाने वाला है। कृषि एवं आदिम जाति कल्याण विभाग में सामग्री आपूर्ति का काम केवल कागजों पर दिखाया जा रहा है। जेम पोर्टल के माध्यम से न तो कोई निविदा जारी की जाती है और न ही वास्तव में सामग्री की आपूर्ति होती है। इसके बावजूद, लाखों-करोड़ों रुपये के बिल विभाग में जमा करके राशि का आहरण कर लिया जाता है उदाहरण के तौर पर, आदिम जाति कल्याण विभाग में 86 इंच के इंटरैक्टिव पैनल (CPU सहित) की खरीद में भारी अनियमितता सामने आई है। बाजार में जिसकी कीमत लगभग ₹1,24,000 है, उसे बिना टेंडर के सीधे ₹9,99,500 में खरीदा गया। इससे सरकारी खजाने को एक ही आइटम पर 75,500 रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ है। इसी तरह के पांच पैनल की खरीद में विभाग को ₹43,77,500 का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को दर्शाता है। कृषि विभाग में भी यही खेल चल रहा है। कृषि से संबंधित दवाइयां, केमिकल और खाद किसी भी प्रसिद्ध कंपनी से नहीं खरीदे जा रहे हैं। जेम पोर्टल पर अनब्रांडेड (unbranded) नाम से सामग्री खरीदी जा रही है, जो पूरी तरह से फर्जी बिलिंग का मामला है। आरएसएस के प्रांत संघचालक सुनील घनवट ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रपति, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और सभी संबंधित विभागों के मंत्रियों व अधिकारियों को इस मामले की प्रतिलिपि भेजी है। उन्होंने मांग की है कि इस बड़े घोटाले की तत्काल जांच की जाए, दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और सभी बोगस सप्लायरों, फर्जी बिलिंग करने वाली फर्मों, दलालों और भ्रष्ट अधिकारियों को जेल भेजा जाए। यह मामला छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। भ्रष्टाचार के ये आरोप अगर सच साबित होते हैं, तो इसका पार्टी की छवि पर गहरा असर पड़ सकता है। अब देखना यह है कि केंद्र और राज्य सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है।
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