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बैकुण्ठपुर की जीवन दायनी नदी का अस्तित्व खतरे मे, नपा के द्वारा खुले मे फेका जा रहा है कचरा नियम विरुद्ध

कलेक्टर कोरिया के निर्देश के बाद आधे घण्टे मे हुआ जिला अस्पताल का वेस्टेज कचरा डिस्पोजल



बैकुण्ठपुर। खुले में प्लास्टिक बैग या कचरा को फेंके जाने पर उसे मवेशी खाकर बीमार हो रही है। मवेशी चिकित्सक के अनुसार इस तरह से प्लास्टिक और कचरा खाने से मवेशियों में गंभीर बीमारी हो रही है। नगर पालिक परिषद अपने क्षेत्र के घरों से कचरा उठा तो रही है लेकिन कोई सुरक्षित जगह नहीं होने की वजह से इन कचरा को खुले में फेंक देती है। इन कचरों में सबसे ज्यादा हानिकारक प्लास्टिक बैग होता है। जबकि सरकारी आदेश के अनुसार प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है लेकिन फुटपाथ दुकानदारों के साथ स्थाई दुकानदार भी धडल्ले से प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कर रहे है। यही प्लास्टिक बैग जब कचरे में जाता है तो मवेशी इसे अपना भोजन बना लेते है।

लापरवाही: खुले में फेंके गए कचरा व प्लास्टिक को खा रहे हैं मवेशी, हो रहे बीमार


शहर के नदी चौक, महलपारा, अस्पताल के पास फेंके कचड़ा पर दर्जनो मवेशी हमेशा अपना खुराक ढूंढती नजर आती है। ऐसे कचरों की खाने से दुधारू पशुओं में ज्यादा प्रभाव नजर आता है। मवेशी मालिकों का कहना है कि महंगाई के कारण अपने पशुओं को सही तरह से चारा उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है। इस मजबूरी मवेशियों को खुले में छोड़ना पड़ता है। दूसरे मवेशी पालक ने बताया ऐसी ही मेरी दुधारू गाय के साथ हुआ था। जो धीरे-धीरे दूध कम देने लगी, जिसका प्रभाव बछड़े पर भी पड़ने लगा। समझ नहीं पाए कि कौन सा रोग हुआ है लेकिन कुछ दिन बाद बीमार हालत में उसकी मौत हो गई। इसलिए दूसरे मवेशियों को हम बाहर नहीं जाने देते है। कमी के बावजूद घर पर ही चारा उपलब्ध करा रहे है।

फूड प्वाइजनिंग की वजह सबसे ज्यादा समस्या होती है: 

पशु चिकित्सक डॉ एस ने बताया कि मवेशियों में फूड प्वाइजनिंग की समस्या सबसे ज्यादा उत्पन्न होती है। इससे मवेशी कमजोर हो जाती है। अगर समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो वह मर ही जाती है। सबसे ज्यादा नुकसान मवेशियों को कचरे के साथ प्लास्टिक बैग के खाने से होता है। यह प्लास्टिक बैग पेट के आत में फंस जाता है। इससे मवेशी धीरे-धीरे और रोग का शिकार हो जाती है। उनका खाना पीना कम होने लगता है। ग्रामीण इलाकों के ऐसे पशुपालक अपने मवेशियों का इलाज नहीं करा पाते है। वर्ष 2018 में किए गए सर्वे में पाया गया कि गाय-भैंस के दूध, गोबर और मूत्र में प्लास्टिक के कण पाए जा रहे है। जो इंसान के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही जानवरों में कैंसर को भी बढ़ावा दे रहा है। सर्वे में पॉलीथीन से कैंसर होना पाया गया है। ऐसी गायों द्वारा उत्पादित दूध के माध्यम से प्लास्टिक की विषाक्त सामग्री भी मनुष्य में प्रवेश कर सकती है। पॉलीथिन बैग में अन्य घर के कचरे के साथ विदेशी धातु जैसे सुइयों, तारों, नाखूनों आदि का भी फेका जाता है। इसके बाद भी नपा के द्वारा बार बार गलती की जा रही है जबकि जो जानकारी निकलकर सामने आई है की जिला चिक्तिसालय से निकलने वाले कचरे को गड्ढा खोदकर गाडने के लिए प्रति माह 15 हजार रुपये नपा को दिया जा रहा है, इसके बाद भी नपा के द्वारा लगातार लापरवाही बर्ती जा रही है।

लगभग 50 लाख के उपर की मशिन रखे रखे हो रही कबाड

एसएलआरएम सेंटर तलवापारा मे गीला कचरा से खाद बनाने वाली मशीन नगर पालिका को दी गई थी जिसकी लागत 50 लख रुपए से अधिक थी वह तलवापारा के एसएलआरएम सेंटर में रखे रखे खराब हो रही है, पहले एक दो लोगों को वहां रखा गया था लेकिन वरवतमान मे वहां एक भी कर्मचारी नही है, इस संबंध मे मुख्य नगरपालिका अधिकारी से पुछा गया तो उन्होंने कहा की मुझे इसकी जानकारी नही है की तलवापारा मे किसको रखा गया है। 

ग्राम पंचायत तलवापारा के लोग करेंगे विरोध नपा के द्वारा कचरा फेकने को लेकर 

नपा के द्वारा पुरे शहर का कचरा ला कर गेज नदी के किनारे फेका जा रहा है, फेके था रहे कचरों मे ज्यादा प्लास्टीक रहती हझ, जिसके कारण गेज नदी का पानी दुषित होता जा रहा है, वही दुषित पानी को पुरा बैकुण्ठपुर शहर पी रहा है, इसके लिए ग्राम पंचायत तलवापारा के ग्राम सभा मे प्रस्ताव भी पारित किया गया है कि नपा के द्वारा जो शहर का कचरा ग्राम पंचायत मे फेका जा रहा है उसको नपा बंद करे और नपा क्षेत्र मे जगह देखे।

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