Ticker

6/recent/ticker-posts

लाखों खर्च करने के बाद मिले थे दो रक्त डोनर, अब अव्यवस्था छुपाने नाटकिय स्वागत - स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल


कोरिया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कायाकल्प योजना के निरीक्षण के लिए आई टीम का जिस अंदाज़ में स्वागत किया गया, उसने न सिर्फ अस्पताल प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि गंभीर अव्यवस्थाओं को ढकने की कोशिश भी बेनकाब कर दी है। ढोल-नगाड़े, रंगोली और छात्राओं के नृत्य के बीच जिला अस्पताल की जमीनी सच्चाई को दिखाने के बजाय उसे ‘सजाने’ और ‘छिपाने’ में ज्यादा जोर लगाया गया।

झाड़ियों में फेंकी गई दवाएं, निलंबित फार्मासिस्ट, फिर भी मना जश्न

यह वही अस्पताल है, जिसकी बड़ी मात्रा में दवाइयां कुछ दिन पहले झाड़ियों में फेंकी मिली थीं। इस मामले में अब तक तीन फार्मासिस्ट निलंबित हो चुके हैं और वर्तमान में दवा वितरण केवल सहायकों के भरोसे चल रहा है। जांच प्रक्रिया जारी है, लेकिन इस संवेदनशील स्थिति के बीच गुरुवार, 22 मई को शाम को अस्पताल परिसर उत्सव स्थल में तब्दील कर दिया गया।

इंस्पेक्शन के नाम पर दिखावा—मरीजों की आवाजाही बंद

शाम 6:30 बजे जब अस्पताल के लगभग सभी विभाग बंद हो चुके थे, कायाकल्प निरीक्षण टीम पहुंची। इससे पहले ही अस्पताल के भीतर-बाहर जगह-जगह रंगोली बनाई जा चुकी थी और मरीजों व उनके परिजनों की आवाजाही को बाधित कर दिया गया था ताकि सजावट को कोई नुकसान न पहुंचे।
स्वागत के लिए छात्राओं से पारंपरिक नृत्य करवाया गया, ढोल-नगाड़े बजाए गए। मौके पर पूर्व आरएमओ को तैनात किया गया, ताकि नियमित ड्यूटी वाले आरएमए (रूरल मेडिकल असिस्टेंट) न दिखें और वास्तविक हालात छिपाए जा सकें। टीम को ऐसे समय बुलाया गया जब अस्पताल लगभग बंद हो चुका था—ताकि समस्याएं, अव्यवस्थाएं और डॉक्टरों की अनुपस्थिति सामने न आ सके। कई वरिष्ठ चिकित्सक निरीक्षण के समय मौजूद ही नहीं थे।

कायाकल्प के पीछे क्या सिर्फ रिपोर्ट कार्ड सुधारना मकसद है?


इस पूरे आयोजन में टीम का करीब आधा घंटा केवल स्वल्पाहार और औपचारिकताओं में ही बीत गया। सवाल यह है कि क्या कायाकल्प का उद्देश्य मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना है या फिर केवल निरीक्षण रिपोर्ट में अच्छा दिखना? क्या दिखावटी रंगोली और स्वागत नृत्य से अस्पताल की सच्चाई ढकी जा सकती है?

मरीजों के हक पर 'साज-सज्जा' की चोट

स्थानीय लोग इस पूरे आयोजन से आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जब अस्पताल में डॉक्टर समय पर उपलब्ध नहीं होते, दवाएं गायब हो जाती हैं, और मरीजों को बेसिक सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब इस तरह का तमाशा किसके लिए और क्यों?

स्वास्थ्य मंत्री तक का ऐसा स्वागत नहीं हुआ


स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इससे पहले अस्पताल में कई बार स्वास्थ्य मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने निरीक्षण किया, लेकिन कभी भी इस तरह का स्वागत या प्रदर्शन नहीं हुआ। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर इस बार क्या खास था, जिसे छिपाने या दिखाने की इतनी जरूरत पड़ी?

स्वस्थ्य सेवाओं की तस्वीर चमकाने का प्रयास

निरीक्षण टीम का आधा समय चाय-पानी और स्वागत सत्कार में गुजर गया। टीम ने बंद हो चुके अस्पताल का निरीक्षण किया—एक ऐसा भ्रमजाल तैयार किया गया था जिसमें समस्याओं को दिखाने के बजाय उन्हें ढकने की कोशिश की गई। क्या यही 'कायाकल्प' का असली मकसद है?

स्वास्थ्य विभाग को देना होगा जवाब

यह पूरा घटनाक्रम यह दर्शाता है कि आम मरीजों की परेशानियों से ज़्यादा ज़रूरी बन गया है अधिकारी विशेष को खुश करना। सवाल यह भी है कि जब अस्पताल की दवा व्यवस्था चरमरा चुकी है, मरीज सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, तब क्या यह जश्न उचित था? 
क्या ‘कायाकल्प’ अब सिर्फ एक शो-पीस योजना बनकर रह गई है?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ