कोरिया। जिले में इन दिनों रेत माफियाओं का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि अवैध रेत उत्खनन और परिवहन के साथ-साथ अब खुलेआम अवैध वसूली भी की जा रही है। खनिज विभाग द्वारा बुधवार को अवैध रेत से भरे पांच वाहनों पर कार्रवाई कर उन्हें संबंधित थाना को सुपुर्द किया गया, लेकिन इसके बावजूद रेत माफियाओं के हौसले कम होते नजर नहीं आ रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ वाहन चालकों ने बताया कि रेत का टेंडर चिरमी खदान एवं जीजी क्षेत्र में हुआ है, इसके बावजूद सोनहत हसदो नदी क्षेत्र से रेत लाने वाले वाहनों से रेत माफियाओं द्वारा अवैध रूप से प्रति वाहन ₹1000 की वसूली की जा रही है। वसूली के बदले वाहन चालकों को सफेद रंग की एक पर्ची दी जाती है, जिसे कथित रूप से ‘सुरक्षा पास’ की तरह इस्तेमाल कराया जा रहा है। वाहन चालकों का यह भी कहना है कि यह राशि नकद नहीं बल्कि फोन के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांसफर करवाई जा रही है। बताया गया कि कटोरी स्थित एक पेट्रोल पंप में ₹1000 डलवाने के निर्देश दिए जाते हैं, ताकि वसूली का सीधा सबूत सामने न आए। यह पूरा नेटवर्क सुनियोजित तरीके से संचालित किया जा रहा है, जिससे साफ जाहिर होता है कि रेत माफिया पूरी तरह संगठित हैं। रेत का ठेका होने के बाद से क्षेत्र में माफियाओं के गुर्गे सक्रिय हो गए हैं। इनके दबाव के चलते रेत का बाजार मूल्य भी काफी बढ़ गया है। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। खासतौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे मकानों में रेत महंगी होने से हितग्राहियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है। कई ग्रामीणों का कहना है कि निर्धारित लागत में अब मकान बनाना मुश्किल होता जा रहा है। सबसे गंभीर सवाल यह है कि इन तमाम गतिविधियों के बावजूद रेत माफियाओं और उनके गुर्गों पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि विभागीय स्तर पर कहीं न कहीं मिलीभगत हो सकती है, क्योंकि कार्रवाई केवल छोटे वाहन चालकों तक सीमित रहती है, जबकि असली संचालक बेखौफ हैं। यदि समय रहते इस अवैध वसूली और रेत माफियाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं और सरकारी योजनाओं का उद्देश्य भी प्रभावित होगा।

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