जनकपुर/एमसीबी। जनकपुर क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि “अगर पत्रकार और आदिवासी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं बचती।”
पूर्व विधायक का यह बयान उस समय आया है जब भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता पर पत्रकार को जान से मारने की धमकी देने का आरोप सामने आया है, और इसके बावजूद पुलिस अब तक चुप्पी साधे बैठी है।
आदिवासी युवक की पिटाई और धमकी का मामला भी आया सामने
इसी बीच एक और गंभीर मामला सामने आया है। ग्राम बेलगांव निवासी आदिवासी युवक इन्द्रबहादुर बैगा ने कलेक्टर को दिए गए लिखित आवेदन में आरोप लगाया है कि उसे मोनू पाठक नामक व्यक्ति ने दिनांक 1 जुलाई 2025 को बुरी तरह डंडे से पीटा, जिससे उसके हाथ में गंभीर चोट आई। युवक उस समय प्रधानमंत्री आवास के तहत आवंटित स्थल पर मिट्टी डालने गया था। शिकायत में बताया गया है कि मारपीट की सूचना थाने में दी गई, मेडिकल भी कराया गया, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित का आरोप है कि मारपीट के दौरान आरोपी ने धमकी दी कि "अगर दुबारा इधर दिखा तो आग से जला दूंगा।" इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि क्षेत्र में कमजोर वर्ग, विशेषकर आदिवासी और पत्रकार, असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
क्या पुलिस सत्ता के दबाव में?
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने यह सवाल भी उठाया कि “क्या भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से प्रशासन डरता है?” उन्होंने यह भी कहा कि "जनकपुर पुलिस निष्क्रिय है और मामलों को दबाया जा रहा है।"
सामाजिक संगठनों में रोष
पत्रकार संगठनों और आदिवासी समाज से जुड़े संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब जागता है, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। "अगर पत्रकार और आदिवासी ही सुरक्षित नहीं, तो लोकतंत्र का क्या मतलब?" - गुलाब कमरों
0 टिप्पणियाँ