कोरिया। एक बार फिर बैकुंठपुर एसडीएम कार्यालय विवादों के घेरे में है। ग्राम खोदरी निवासी परमेश्वर पिता स्व. सुमाभ चंद द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने प्रशासनिक पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। मामला ग्राम मांडी की भूमि पर नक्शा सुधार से जुड़ा है, जिसमें कमिश्नर कार्यालय सरगुजा में अपील लंबित होने के बावजूद बैकुंठपुर एसडीएम कार्यालय से आदेश पारित कर दिया गया।
जानबूझकर अधिकारी को गुमराह किया गया
परमेश्वर द्वारा प्रस्तुत आवेदन के अनुसार, भूमि का मामला न्यायालय में विचाराधीन था और अपील क्रमांक 2015.0896.0200.0300.450 दिनांक 14.07.2025 को आयुक्त न्यायालय में प्रस्तुत की जा चुकी थी। इसके बावजूद आरआई, पटवारी और कार्यालय के रीडर की मिलीभगत से एसडीएम को गुमराह कर आदेश प्राप्त किया गया।
डीएम कार्यालय के रीडर पर लगे हैं गंभीर आरोप
इस पूरे मामले में रीडर की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध बताई जा रही है। आवेदक का कहना है कि रीडर को प्रकरण की पूरी जानकारी थी, बावजूद इसके उसने जानबूझकर आदेश जारी करवाया। इससे पहले भी रीडर पर कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन उस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा प्रतीत होता है कि उसे उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।
डायवर्सन में रिश्वतखोरी का खुला खेल
सिर्फ यही नहीं, बल्कि डायवर्सन प्रकरणों में भी एसडीएम कार्यालय में रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। शहर में चर्चा है कि आवासीय डायवर्सन के लिए ₹15,000, व्यवसायिक के लिए ₹20,000 और औद्योगिक प्रयोजन के लिए ₹25,000 की अवैध राशि वसूली जाती है। एक मामले में तो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है जो इस घोटाले की पुष्टि करता है।
प्रशासन की चुप्पी, जनता में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों और आवेदकों का कहना है कि इस प्रकार की गतिविधियों से आम जनता का प्रशासन पर से विश्वास उठ रहा है। जनता ने मांग की है कि उक्त रीडर की कार्यप्रणाली की निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाए।
निष्कर्ष:
यदि कमिश्नर कार्यालय में मामला विचाराधीन है तो एसडीएम कार्यालय को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार का आदेश न केवल प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि यह भ्रष्टाचार की गहराई को भी उजागर करता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर क्या कदम उठाता है।
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