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नाला साफ हुआ बारिश से, राशि डकार गए प्रभावशाली, मनरेगा में भ्रष्टाचार की गारंटी



सूरजपुर। ग्राम पंचायत बड़सरा में मनरेगा योजना के तहत सरईमुड़ा नाले से कैनाल निर्माण और सफाई के नाम पर 4 लाख रुपये की राशि का बंदरबांट का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बारिश ने नाला तो साफ कर दिया, लेकिन राशि को प्रभावशाली लोगों ने अपने चहेतों के जॉब कार्ड में इंद्राज कर हजम कर लिया। बहरहाल भैयाथान जनपद पंचायत में मनरेगा योजना भ्रष्टाचार का पर्याय बनती जा रही है। सवाल यह है कि क्या जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा...?

चौंकाने वाले तथ्य आएं सामने 

सूत्रों की मानें तो मस्टर रोल की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। सत्ता के बड़े पदाधिकारी, व्यवसायी, उद्यमी, मितानिन, युवा नेता, सचिव के परिजन, छात्र, निजी कर्मचारी, कॉन्ट्रैक्टर, नवनिर्वाचित सरपंच, उपसरपंच, पंचों के रिश्तेदार, कार मालिक तक मनरेगा में 'मजदूरी' कर रहे हैं। हैरानी की बात, वास्तविक मजदूरों की हाजिरी कम, जबकि घर बैठे राशि वसूलने वालों की संख्या ज्यादा है।

आयु सीमा का कोई हिसाब नहीं:

मनरेगा में न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, लेकिन अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं। यही कारण है कि पेंशनधारियों के नाम पर भी हाजिरी भेजी गई। 

भ्रष्टाचार की गारंटी

 भाजपा नेता रक्षेन्द्र प्रताप सिंह ने भी भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए कहा कि पात्र मजदूरों को लाभ देने की बजाय प्रभावशाली लोग मनरेगा की राशि हजम कर रहे हैं।

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