कोरिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत प्रदेशभर में शालाओं के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इस प्रक्रिया के तहत शिक्षक उपलब्धता, विद्यार्थियों की संख्या और विद्यालय की अधोसंरचना जैसे बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों का समायोजन किया जाएगा। विकासखंड स्तरीय समिति इस कार्य के लिए जिम्मेदार होगी, जो शालाओं का भौतिक परीक्षण कर उनकी उपयुक्तता का आकलन करेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम और शहरी क्षेत्रों में 30 से कम दर्ज संख्या वाले प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिन्हित किए जाएंगे। इन विद्यालयों को निकट के बड़े और संसाधनयुक्त विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। समायोजन के बाद विद्यालयों का संचालन बेहतर अधोसंरचना वाले भवनों में किया जाएगा। समायोजित विद्यालयों की समस्त शैक्षणिक सामग्री और अभिलेख उच्चतर संस्था प्रमुख के अधीन रखे जाएंगे। यदि किसी विद्यालय का ऐतिहासिक महत्व है, तो उसे बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि अन्य विद्यालयों को उसमें समायोजित किया जाएगा। एक ही परिसर में संचालित विद्यालयों के बीच समायोजन की व्यवस्था इस प्रकार की गई है कि प्राथमिक शाला का युक्तियुक्तकरण पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल या हायर सेकेण्डरी विद्यालय से किया जाएगा। समस्त अभिलेख इन उच्च स्तर के विद्यालयों के संस्था प्रमुख द्वारा संधारित किए जाएंगे। विशेष रूप से स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय (हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम) और पीएम श्री स्कूलों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। युक्तियुक्तकरण से संबंधित सूचना शाला प्रबंधन समिति एवं शाला प्रबंधन एवं विकास समिति को दी जाएगी। कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर विकासखंड में ई संवर्ग के अंतर्गत 16 विद्यालयों, टी संवर्ग में बैकुण्ठपुर के 25 तथा सोनहत विकासखंड के 29 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण प्रस्तावित है। जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि समायोजन उपरांत विद्यालयों की भवन संरचना का उपयोग आवश्यकता अनुसार किया जाएगा तथा समस्त प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं गुणवत्तापूर्ण निर्णय सुनिश्चित किए जाएंगे।
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